Sunday, 8 July 2012

7-priceless-things-which-proud-india

भारत कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। यहां की समृद्धि को देख पूरी दुनिया हैरत में थी। यहां के रजवाड़े अकूत धन-दौलत के मालिक थे। इनके पास बेशकीमती हीरे-जवाहरात थे।
भारत की इसी समृद्धि को देख कर समय-समय पर विदेशी आक्रमणकारी आते रहे और यहां की धन-दौलत को लूट कर ले जाते रहे। इनमें मुस्लिम आक्रमणकारियों और अंग्रेजों का नाम सबसे प्रमुख है।
विलासितापूर्ण जीवन बिता रहे राजे-रजवाड़े कलाकृतियों के बेहद शौकीन थे। वे बेशकीमती चीजों के साथ कला के बेजोड़ नमूनों का भी संग्रह करते थे।
आइए तस्वीरों में देखते हैं भारत के सात अनमोल रत्न...
1- कोहिनूर हीरा: यह भारत का सबसे महंगा और प्रसिद्ध हीरा है। बाबर ने अपने संस्मरण में आगरा की विजय में एक उत्तम हीरा प्राप्त करने का उल्लेख किया है। संभवत: वह कोहिनूर ही था, क्योंकि उस हीरे का भार आठ मिस्कल (320 रत्ती) बताया गया है। तराशे जाने के पहले इसका भार इतना ही था। महाराजा रणजीतसिंह के मरने के बाद 1849 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी ने पंजाब पर अधिकार कर इस बहुमूल्य रत्न को महारानी विक्टोरिया को भेंट में दिया। उनके जौहरी प्रिंस एलवेट ने कोहिनूर की पुन: कटाई की और पॉलिश करवाई। इसे लंदन स्थित ‘टॉवर ऑफ़ लंदन’ संग्राहलय में नुमाइश के लिये रखा गया है।
2- सुल्तानगंज के बुद्ध: बिहार के भागलपुर में स्थित इस स्थान पर बौद्ध पुरावशेष बहुत पाए जाते हैं। सन 1852 में यहां बुद्ध की तीन टन वजन की प्रतिमा मिली थी। इसे अंग्रजों ने बर्मिन्घम संग्रहालय में रखवाया है।
3- महाराजा रणजीत सिंह के सोने का सिंहासन: रणजीत सिंह को 'शेरे पंजाब' के नाम से भी जाना जाता था। इनका जन्म 13 नवम्बर, 1780 में 'गुजरांवाला' में हुआ था। वह पंजाब के सिक्ख राज के संस्थापक थे। रणजीत सिंह सिक्खों के बारह मिसलों में से एक 'सुकर चाकिया' से सम्बन्धित थे। उन्होंने 1797 में रावी नदी एवं चिनाब नदी के प्रदेशों के प्रशासन का कार्यभार संभाला था। उनके द्वारा बनवाया गया यह सिंहासन बहुत ही कीमती था। उसे अनमोल वस्तु का दर्जा प्राप्त है।
4- शाहजहां का रॉयल कप: मुगल बादशाद शाहजहां किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वास्तुकला के प्रति उनके प्रेम का अद्भुत नमूना ताजमहल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ताजमहल की तरह शाहजहां का रायल कप भी बहुत अनमोल है। उस कप में वह शराब पिया करता थे। इस बेशकीमती कप को मध्य एशिया से आयात किया गया था। यह आज भी अनमोल है।
5- टीपू सुल्तान का टाइगर: 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों की ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को अपने युद्ध कौशल से मैसूर की दूसरी जंग में परास्त करने वाले सुल्तान फतेह अली टीपू का सोने का टाइगर बहुत कीमती है। इतिहास में टीपू सुल्तान और शेर-ए-मैसूर के नाम से विख्य़ात इस सेनानी का बेशकीमती टाइगर इस समय अंग्रेजों के चंगुल में है।
6- दरिया-ए-नूर हीरा: हीरों के बारे में आम आदमी से लेकर राजा-महाराजाओं में गजब का आकर्षण रहा है। किसी ने इन्हें सितारों का अंश कहा तो किसी ने देवताओं के आंसू। बाबर और अकबर तो आगरा डायमंड को अपनी पगड़ी में बांधकर रखते थे। हीरे के जादुई असर के कुछ बादशाह तो इतने कायल थे कि वे लड़ाई के मैदानों तक में इन्हें साथ लेकर चलते थे। दुनिया भर में भारत की गोलकुंडा खान से निकले हीरों की धाक थी। इन्हीं में से एक था दरिया-ए-नूर हीरा।
7- मयूर सिंहासन: मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया मयूर सिंहासन अपनी खूबसूरती के लिए जग प्रसिद्ध था। इस सिंहासन की आकृति और उसमें जड़े हीरे-जवाहरात उसकी शोभा में चार चांद लगाते थे। इसे भारत का अमूल्य धरोहर माना जाता है।
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